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कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speechमुझे कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार प्राप्त होने के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है, जो कि विश्व भारती, शांतिनिकेतन तथा चीन अध्ययन संस्थान, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘टैगोर और विश्व के बीच एकात्मता : चीन के विशेष संदर्भ सहित, संस्कृति और साहित्य’ नामक इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से शुरू हो रहे हैं।

सुरी विद्यासागर कॉलेज में स्वागत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speechमैं आज अपने कॉलेज में आकर खुशी और पुरानी यादों से उद्वेलित अनुभव कर रहा हूं जहां मैंने अपनी युवावस्था के बेहतरीन चार साल बिताए थे। ऐसा लगता है मानो यह कल ही की बात है जब वर्ष 1952 में मुझे आईएससी में दाखिला मिला था। मेरी पंजीकरण संख्या थी 5057। उस समय पंजीकरण शुल्क 2/- रुपए था। वर्ष 1953-56 के दौरान मैंने बी.ए.

आसियान-भारत विशेष स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के सम्मान में आयेजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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कम्बोडिया के प्रधानमंत्री, महामहिम, सामडेक हुन सेन,

ब्रुनेई दारुस्सलाम के सुल्तान, महामहिम हाजी हसनअल बोलकिया,

आसियान के सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष,

भारत के उपराष्ट्रपति श्री मो. हामिद अंसारी,

भारत के प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह,

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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इलाहाबाद के इस ऐतिहासिक शहर में, इस दीक्षांत व्याख्यान के लिए आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।

गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर बसा हुआ इलाहाबाद परंपरागत रूप से आध्यात्मिकता, ज्ञान और अध्ययन का केंद्र रहा है। यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र भी था और इस शहर के नागरिकों ने हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की अगुआई की।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speechमहान राष्ट्रभक्त महमना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की 150वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर वर्ष भर आयोजित समारोहों के समापन के अवसर पर उनके द्वारा स्थापित ज्ञान की इस प्रसिद्ध पीठ में आकर बहुत मुझे प्रसन्नता हो रही है।

चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन में आकर और तेलुगु भाषा और साहित्य के लब्ध-प्रतिष्ठ विद्वानों को संबोधित करते हुए बहुत खुशी हो रहा है।

एस.आर.एम. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे एस.आर.एम. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हो रही है। देश के कुछ अत्यंत प्रतिभावान युवाओं के बीच होना खुशी की बात है।

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