27वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के उद्घाटन समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
देवियो और सज्जनो,
इन्स्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) द्वारा आयोजित 27वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर यहां उपस्थित होकर मुझे वास्तव में बहुत खुशी हो रही है।
उत्तर भारत के मुख्यमंत्रियों की संगोष्ठी—‘रिफ्यूलिंग ग्रोथ’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे आज पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एवं इंडस्ट्री द्वारा आयोजित उत्तर भारत के मुख्यमंत्रियों की संगोष्ठी में उपस्थित होकर बहुत खुशी हो रही है। मुझे देश के कुछ सबसे बड़े राज्यों का संचालन करने वाले राजनीतिज्ञों और भारतीय उद्योग के मुखियाओं के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हुए तथा हमारे लिए तात्कालिक महत्त्व के और अत्यंत प्रासंगिक मुद्दे पर चर्चा करते हुए बहुत प्रसन
भारतीय वायुसेना की 25 स्क्वाड्रन तथा 33 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

श्री के रोसैय्या, तमिलनाडु के राज्यपाल, एयर चीफ मार्शल, एन.ए.के ब्राउन, वायुसेनाध्यक्ष, भारतीय वायुसेना के हवाई लड़ाको और विशिष्ट अतिथिगण।
कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुझे कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार प्राप्त होने के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है, जो कि विश्व भारती, शांतिनिकेतन तथा चीन अध्ययन संस्थान, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘टैगोर और विश्व के बीच एकात्मता : चीन के विशेष संदर्भ सहित, संस्कृति और साहित्य’ नामक इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से शुरू हो रहे हैं।
सुरी विद्यासागर कॉलेज में स्वागत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मैं आज अपने कॉलेज में आकर खुशी और पुरानी यादों से उद्वेलित अनुभव कर रहा हूं जहां मैंने अपनी युवावस्था के बेहतरीन चार साल बिताए थे। ऐसा लगता है मानो यह कल ही की बात है जब वर्ष 1952 में मुझे आईएससी में दाखिला मिला था। मेरी पंजीकरण संख्या थी 5057। उस समय पंजीकरण शुल्क 2/- रुपए था। वर्ष 1953-56 के दौरान मैंने बी.ए.
आसियान-भारत विशेष स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के सम्मान में आयेजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

कम्बोडिया के प्रधानमंत्री, महामहिम, सामडेक हुन सेन,
ब्रुनेई दारुस्सलाम के सुल्तान, महामहिम हाजी हसनअल बोलकिया,
आसियान के सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष,
भारत के उपराष्ट्रपति श्री मो. हामिद अंसारी,
भारत के प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह,
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

इलाहाबाद के इस ऐतिहासिक शहर में, इस दीक्षांत व्याख्यान के लिए आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर बसा हुआ इलाहाबाद परंपरागत रूप से आध्यात्मिकता, ज्ञान और अध्ययन का केंद्र रहा है। यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र भी था और इस शहर के नागरिकों ने हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की अगुआई की।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
महान राष्ट्रभक्त महमना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की 150वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर वर्ष भर आयोजित समारोहों के समापन के अवसर पर उनके द्वारा स्थापित ज्ञान की इस प्रसिद्ध पीठ में आकर बहुत मुझे प्रसन्नता हो रही है।
चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुझे चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन में आकर और तेलुगु भाषा और साहित्य के लब्ध-प्रतिष्ठ विद्वानों को संबोधित करते हुए बहुत खुशी हो रहा है।