नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के लिए वर्ष 2012 के राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुझे, नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के लिए वर्ष 2012 के
मुझे, नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के लिए वर्ष 2012 के
मुझे 11वें प्रवासी भारतीय दिवस के समापन व्याख्यान के लिए आपके बीच उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। आज का दिन हमारे देश के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसी दिन 98 वर्ष पहले, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे।
मुझे, आज सुबह हरित डिजायन पर चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन ‘गृह’ के उद्घाटन पर यहां आकर वास्तव में बहुत प्रसन्नता हो रही है।
देवियो और सज्जनो,
महामहिम राष्ट्रपति फ्रौंस्वा ओलौन्द,
फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति,
मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर,
श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,
डॉ मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,
देवियो और सज्जनो,
महामहिम राष्ट्रपति फ्रौंस्वा ओलौन्द,
फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति,
मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर,
श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,
डॉ मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,
देवियो और सज्जनो,
आज स्वर्गीय श्री एन.के.पी. साल्वे पर प्रथम स्मारक व्याख्यान के लिए आप सबके बीच आना बहुत प्रसन्नता की बात है, जो कि एक बहुआयामी सख्शियत थे। मुझे ‘संविधान एवं शासन’ पर स्वर्गीय श्री एन.के.पी. साल्वे पर प्रथम स्मारक व्याख्यान देने के लिए यहां आकर बहुत खुशी हो रही है।
मैं, सुश्री इला रमेश भट्ट को वर्ष 2011 के इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार प्रदान करना एक महान सौभाग्य समझता हूं। भारत की निर्धन ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए जिनका अनुकरणीय कार्य, जमीनी स्तर के लोकतंत्र को संभव बनाने के लिए एक के मॉडल बन गया है।
माननीय सदस्यगण,
1. मैं, राष्ट्रपति के रूप में पहली बार दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए इस सत्र में आपका स्वागत करता हूं। मैं आशा करता हूं कि यह सत्र सफल एवं उपयोगी होगा।
2. जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, मैं जानता हूं कि एक महत्वाकांक्षी भारत का उदय हो रहा है, एक ऐसा भारत जहां अधिक अवसर, अधिक विकल्प, बेहतर आधारभूत संरचना तथा अधिक संरक्षा एवं सुरक्षा होगी। हमारे युवा जो हमारी सबसे बड़ी राष्ट्रीय धरोहर हैं, आत्मविश्वास और साहस से परिपूर्ण हैं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि इनका जोश, इनकी ऊर्जा और इनका उद्यम भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।