एशिया प्रशांत नेत्र-विज्ञान अकादमी की28वीं कांग्रेस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुझे, आज एशिया प्रशांत नेत्र-विज्ञान अकादमी की 28वीं कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं अकादमी और अखिल भारतीय नेत्र-विज्ञान सोसायटी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे पूरे विश्व से यहां एकत्रित नेत्र रोग विशेषज्ञों के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया।
यह सम्मेलन, लगभग 28 वर्ष के अंतराल के बाद, दूसरी बार भारत में आयोजित किया जा रहा है। भारत में इसका आयोजन अखिल भारतीय नेत्र-विज्ञान सोसायटी के निष्ठावान प्रयासों का परिणाम है जो ए पी आई ओ के साथ मिलकर कार्य कर रही है। मैं उन्हें इस प्रयास के लिए बधाई देता हूं।