भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 18वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के समापन के अवसर पर संबोधन

नमस्कार, आपकी-अपनी भारत-भूमि में आपका हार्दिक स्वागत है!
नमस्कार, आपकी-अपनी भारत-भूमि में आपका हार्दिक स्वागत है!
मैं, इस अवसर को बहुत महत्वपूर्ण मानती हूँ, क्योंकि यह कैंसर रोगियों की देखभाल से जुड़ा है, जो वास्तव में एक बहुत ही नेक काम है। मैं इस कैंसर अस्पताल की स्थापना से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूँ। इस अस्पताल में एक ही स्थान पर व्यापक कैंसर चिकित्सा सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। मुझे बताया गया है कि इस अस्पताल में इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक तकनीकों से कैंसर का शीघ्र और सटीक उपचार हो पाएगा और उनका कम से कम दुष्प्रभाव होगा। मुझे विश्वास है कि विभिन्न प्रकार की विशेषताओं वाला यह कैंसर अस्पताल ज़रूरतमंदों को उच्च गुणवत्ता वाला कैंसर उपचार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
आज एक ऐतिहासिक अवसर है और इस अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, यानी निम्हांस, अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है। यह जयंती न केवल इस प्रतिष्ठित संस्थान के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। मैं, इस अवसर पर संस्थान के पूर्व और वर्तमान संकाय सदस्यों, प्रशासकों और विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ। मानसिक स्वास्थ्य के महान उद्देश्य के प्रति आप सब के समर्पण से निम्हांस ने हमारे समाज में एक अनुकरणीय भूमिका निभाई है। रोगी की सम्पूर्ण देखभाल तथा नवोन्मेषी अनुसंधान और गहन शैक्षणिक कार्यक्रम से यह संस्थान मानसिक स्वास्थ्य औ
मुझे इस त्रि-सेवा प्रशिक्षण संस्थान को राष्ट्रपति निशान प्रदान करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह अवसर हमारे सशस्त्र बलों के भविष्य के रणनीतिक अघिकारी तैयार करने में रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करने का भी अवसर है।
मंगलगिरि के इस पवित्र स्थल पर मैं ‘पानकाल-स्वामी’ को सादर नमन करती हूं। मेरी प्रार्थना है कि भगवान लक्ष्मी नरसिम्ह स्वामी का आशीर्वाद सभी देशवासियों को सदैव प्राप्त होता रहे। यहां अध्ययन-अध्यापन करने वाले आप सभी विद्यार्थियों और प्राचार्यों का यह सौभाग्य है कि आपको भगवान विष्णु के पानकम् का मधुर प्रसाद मिलता रहता है।
Dear students,
आज श्री वारणा समूह के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आप सब को संबोधित करके मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस अवसर पर वारणा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान देने के लिए मैं इस समूह से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं। मैं वारणा समूह के संस्थापक श्री विश्वनाथराव कोरे उर्फ तात्यासाहेब कोरे जी को आदर के साथ याद करती हूं जिनकी दूरदर्शिता और मेहनत से वारणा घाटी की बंजर भूमि आज हरी-भरी है। यह बहुत ही खुशी की बात है कि उनके पौत्र श्री विनय विलासराव कोरे जी, तात्यासाहेब के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
इस समारोह में आप सब के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं विशेष बधाई देती हूं। आज का दिन न सिर्फ उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के लिए विशेष है, बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी अत्यंत हर्ष का दिन है। मैं सभी शिक्षकों और अभिभावकों की सराहना करती हूं जिनके सहयोग और प्रोत्साहन से विद्यार्थी इस उपलब्धि को प्राप्त कर सके हैं।
यह प्राचीन विज्ञान का एक आधुनिक संस्थान है। यहां आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस संस्थान ने आठ वर्षों की अल्प-अवधि में ही आयुर्वेदिक चिकित्सा, शिक्षा, अनुसंधान और समग्र स्वास्थ्य सेवा में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। मैं इस उपलब्धि के लिए आयुष मंत्रालय और संस्थान से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं।
मुझे खूबसूरत और ऐतिहासिक अल्जीयर्स शहर में आपके बीच उपस्थित होकर अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है।
यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि भारत से अल्जीरिया की पहली राजकीय यात्रा मेरे द्वारा संपन्न हो रही है। यह भारत–अल्जीरिया संबंधों में एक ऐतिहासिक दिन है। मेरे साथ हमारे राज्य मंत्री श्री सुकांत मजूमदार, और संसद सदस्य श्री अतुल गर्ग और श्री मुकेशकुमार दलाल भी उपस्थित हैं।
आज मॉरिटानिया में, लघु किन्तु जीवंत और सक्रिय भारतीय समुदाय के बीच उपस्थित होना मेरे लिए वास्तव में प्रसन्नता और सम्मान की बात है। दोनों देशों के संबंधों को बढ़ाने में भारतीय समुदाय की भावना और योगदान को देखकर मैं गौरवान्वित हूं।
मेरे साथ हमारे Minister of State श्री सुकांत मजूमदार, और संसद सदस्य श्री अतुल गर्ग और श्री मुकेशकुमार दलाल भी हैं, और हम अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों का अभिनंदन लेकर आए हैं।
भाइयो और बहनो,