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कुलपति सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रारंभिक उद्बोधन


श्रीमती स्मृति ज़ुबिन ईरानी, मानव संसाधन विकास मंत्री,

श्री सत्यनारायण मोहंती, सचिव, उच्च शिक्षा विभाग,

प्रो. वेद प्रकाश, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,

केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण,

वरिष्ठ अधिकारीगण,

देवियो और सज्जनो,

नमस्कार,

मैं इस सम्मेलन में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। हम तीसरी बार राष्ट्रपति भवन में मिल रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि हमारा विचार-विमर्श पूर्व दो अवसरों की भांति सघन और सार्थक रहेगा।

सिंगापुर के राष्ट्रपति के सम्मान में आयोजित राजभोज के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति का अभिभाषण

spमहामहिम,

डॉ. टोनी तान केंग यम,

सिंगापुर गणराज्य के राष्ट्रपति,

मादाम मैरी तान,

विशिष्ट अतिथिगण,

महामहिम आपका और मादाम मैरी तान तथा आपके शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों का आपकी भारत की पहली यात्रा पर, अत्यंत हार्दिक स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है।

महामहिम,

गुजरात विद्यापीठ के बासठवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

sp1. गुजरात विद्यापीठ के बासठवें दीक्षांत समारोह के लिए आज यहां उपस्थित होना मेरा सौभाग्य है। इस ऐतिहासिक संस्थान की स्थापना1920 में गांधीजी ने की थी जो आरंभ से इसके कुलाधिपति थे और अपनी अंतिम सांस तक बने रहे। गांधीजी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद,डॉ.

संसद के समक्ष भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

माननीय सदस्यगण,

1. मैं, आशा और आकांक्षाओं से भरपूर इस नववर्ष में संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में आपका स्वागत करता हूँ। मेरा विश्वास है कि आपकी चर्चा सार्थक और उपयोगी होगी।

को 21 स्क्वाड्रन और 116 हैलीकॉप्टर यूनिट को ध्वज प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे, राजस्थान सेक्टर में भारत के सबसे पुराने और प्रमुख हवाई ठिकानों में से एक वायुसेना स्टेशन, जोधपुर में 21 स्क्वाड्रन तथा 116 हैलीकॉप्टर यूनिट को ध्वज प्रदान करने के लिए आज यहां आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इन विशिष्ट उड़ाका यूनिटों का गौरवपूर्ण इतिहास और पेशेवराना उत्कृष्टता की शानदार विरासत रही है। अपने गठन के समय से ही उन्होंने राष्ट्र की शानदार सेवा की है और हमें गौरवान्वित किया है। उनकी समृद्ध विरासत तथा उत्कृष्टता प्राप्ति की दिशा में शानदार प्रयासों ने दूसरों के द्वारा अनुकरणीय मापदंड स्थापित किए हैं। निस्वार्थ समर्पण, पेशेवराना निष्पादन तथा कठिनाइयों के समक्ष उनके साहस के लिए

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

1. मुझे, ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान स्थापित,आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मंडी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। कमंड घाटी में स्थित आपके संस्थान में आना अत्यंत सुखद है,जो अपनी नैसर्गिक और प्राकृतिक सौंदर्य आकर्षित करती है। स्थानीय कृषकों की सरल जीवन शैली,उनके पारंपरिक गीत, नृत्य और शिल्प इस स्थान की सहज भव्यता और वैभव को बढ़ा देते हैं।

समावेशी नवान्वेषण संबंधी वैश्विक गोलमेज सम्मेलन में प्रतिवेदकों द्वारा निष्कर्ष प्रस्तुत करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

spसर्वप्रथम, मैं समावेशी नवान्वेषण संबंधी वैश्विक गोलमेज सम्मेलन के विशिष्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत करता हूं। मैंने प्रोफेसर गुप्ता द्वारा प्रस्तुत इस मंच की परिचर्चाओं के परिणामों के सार को बड़े ध्यान से सुना है। मैं दो विशिष्ट प्रतिभागियों को भी उनके नजरिए प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे अनुसार, यह विषय ऐसे किसी भी देश के लिए प्र

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