‘‘परिवर्तन दूत के रूप में महिलाएं’’ विषय पर 20वें न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे स्मृति व्याख्यान के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुझे इस संध्या 20वें न्यायमूर्ति सुनंदा भण्डारे स्मृति व्याख्यान देने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। स्वर्गीय न्यायमूर्ति भण्डारे महिला अधिकारों की संरक्षक थीं। उन्होंने अपने पेशे और पिछड़ों के प्रति चिंता के संबंध में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया। 52 वर्ष की आयु में उनकी असमय मृत्यु से एक महान और समृद्ध जीवनवृत्त का दुखद अंत हो गया।