भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा भारतीय समुदाय के स्वागत समारोह में अभिभाषण
भारतीय समुदाय के विशिष्ट सदस्यो,
भारतीय समुदाय के विशिष्ट सदस्यो,
1. मैं आज यहां आकर बहुत प्रसन्न हूं। यह भारत के राष्ट्रपति की इज़राइल की प्रथम ऐतिहासिक राजकीय यात्रा है। मैं राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन और इज़राइल की जनता को मेरे और मेरे शिष्टमंडल के हार्दिक स्वागत और शानदार आतिथ्य के लिए धन्यवाद करता हूं।
2. मेरे यहां पहुंचते ही मैं याद वार्शेम गया और वहां स्मारक पर सभी पुरुषों,महिलाओं और बच्चों की स्मृति में प्रार्थना की।
3. मेरे साथ माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री,श्री थावरचंद गहलोत और भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों और क्षेत्रों के प्रतिनिधि भी आए हैं। प्रख्यात शिक्षाविदों का समूह भी मेरे साथ आया है।
सलाम और नमस्ते,
माननीय यूली एडेजस्टीन, नेसेट के स्पीकर, नेसेट के सदस्यो,
महामहिम,
मैं भारतीय राष्ट्रपति के रूप में इजरायल की प्रथम राजकीय यात्रा करने में अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं कल से जब यहां पहुंचा हूं मुझे उस हार्दिक स्वागत और शानदार आतिथ्य का अहसास हो रहा है जो मुझे और मेरे शिष्टमंडल को मिला है। नेसेट और इजराइल की जनता के विशिष्ट प्रतिनिधियों को संबोधित करने के लिए आमंत्रण ग्रहण करना सचमुच बड़े सम्मान का विषय है। मैं भारत के लोगों की ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
नेसेट के विशिष्ट सदस्यो,
इजराइल राष्ट्र के महामहिम राष्ट्रपति,श्री रियुवेन रिवलिन,श्रीमती रिवलिन
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
1. किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा इजराइल की प्रथम राजकीय यात्रा करना वास्तव में मेरा सौभाग्य है। नोबेल विजेता शाय एग्नोन ने एक बार कहा था, ‘यदि हम हरी-भरी दूब की सुगंध,मसालों की महक,स्वादिष्ट फलों की सुवास सांसों में भरे तो हमें मधुर अनुभूति होती है।’मैं अपनी बात आपके शानदार स्वागत,हार्दिक आतिथ्य सत्कार तथा आपकी जनता की मित्रता का धन्यवाद करते हुए आरंभ करना चाहता हूं।
गवर्नर बोर्ड के अध्यक्ष, श्री माइकल फेडरमैन
हिब्रू विश्वविद्यालय, येरूशलम के अध्यक्ष,प्रो. मेनाहेम बेन सेसोन,
हिब्रू विश्वविद्यालय के रेक्टर,प्रो. एशर कोहेन,
हिब्रू विश्वविद्यालय, येरूशलम की सीनेट के माननीय सदस्यगण,
संकाय सदस्यो तथा
इस प्राचीन विश्वविद्यालय के शैक्षिक समुदायों के विशिष्ट सदस्यो,
1. अफ्रीका के राष्ट्र और सरकार के अध्यक्षों आप सभी का भारतीय गणराज्य के केन्द्र में आज यहां स्वागत करना मेरे लिए विशिष्ट सम्मान है। मैं आपका स्वागत न केवल गौरवपूर्ण राष्ट्रों के नेताओं के रूप में बल्कि मित्रों और भाइयों के रूप में करता हूं। भारत आपका स्वागत न केवल मुक्त भुजाओं से बल्कि मुक्त हृदय से करता है।
शुभ संध्या!
1. सर्वप्रथम,मैं आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। आज हमारे देश की उच्च शिक्षा के लिए एक महत्त्वपूर्ण दिन है। राष्ट्रपति भवन में पहली बार प्रतिभावान मानस,उद्योग प्रमुख और 114 केंद्रीय संस्थानों के शिक्षा अग्रणी उच्च शिक्षा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक साझे मंच पर एकत्र हुए हैं।
1. मुझे 35वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) के उद्घाटन समारोह में आज यहां उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है,जो कि भारत व्यापार संवर्धन संगठन का प्रमुख कार्यक्रम है।