भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 पुरस्कार समारोह में संबोधन
नई दिल्ली : 17.07.2025
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मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई देती हूं। आप सबने स्वच्छता के राष्ट्रीय महायज्ञ में अपना योगदान दिया है। आप सबकी मैं विशेष प्रशंसा भी करती हूं।
हमारे शहरों द्वारा स्वच्छता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का आकलन करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण एक सफल प्रयोग सिद्ध हुआ है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि वर्ष 2024 के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा विश्व के सबसे बड़े स्वच्छता सर्वेक्षण का आयोजन किया गया। इस सर्वेक्षण में विभिन्न हितधारकों, राज्य सरकारों, शहरी निकायों तथा लगभग 14 करोड़ देशवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। निष्पक्ष सर्वेक्षण द्वारा आकलन के आधार पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरी निकायों का पुरस्कार हेतु चयन किया गया। इन सभी प्रयासों के लिए मैं केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल जी और उनकी पूरी टीम की प्रशंसा करती हूं। इस राष्ट्रीय अभियान में राज्य सरकारों ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ साझेदारी की है। मैं राज्य सरकारों के स्वच्छता प्रतिनिधियों की भी सराहना करती हूं। स्वच्छता के क्षेत्र में कार्यरत सभी संस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधियों की मैं प्रशंसा करती हूं। यह समारोह स्वच्छता के जन-आंदोलन का एक अनुष्ठान है।
मुझे बताया गया है कि आज के पुरस्कारों के क्रम में, स्वच्छ महाकुंभ के लिए Special Mention Award प्रदान किया जाएगा। महाकुंभ 2025, विश्व इतिहास का सबसे बड़ा जन-समागम था। मुझे भी पवित्र त्रिवेणी संगम में अवगाहन करने का सौभाग्य मिला था। महाकुंभ 2025 में स्वच्छता और श्रद्धा का अद्भुत संगम भी देखने को मिला। अतः स्वच्छ महाकुंभ हेतु विशेष उल्लेख पुरस्कार के लिए मैं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
स्वच्छता पर बल देना, प्राचीन काल से ही हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार रहा है। अपने घरों को, उपासना स्थलों को तथा आस-पास के परिवेश को स्वच्छ रखने की परंपरा हमारी जीवन-शैली का अभिन्न अंग थी। मुझे आज भी साफ-सफाई करने का अवसर यदि मिल पाता है तो मैं उसका उपयोग करती हूं क्योंकि साफ-सफाई मेरे संस्कार और स्वभाव का और मेरे जैसे करोड़ों देशवासियों के संस्कार और स्वभाव का हिस्सा रहा है। प्राचीन साहित्य तथा ऐतिहासिक ग्रंथों में अयोध्या, उज्जयिनी, पाटलिपुत्र और हम्पी जैसे नगरों की भव्यता और साफ-सफाई के विवरण प्राप्त होते हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि "Cleanliness is next to godliness”. स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ वर्ष 2014 में गांधी जयंती के दिन किया गया था। स्वच्छ भारत मिशन Urban 2.0 की शुरुआत भी गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर वर्ष 2021 में की गई थी। गांधीजी स्वच्छता को धर्म, अध्यात्म और नागरिक जीवन की आधारशिला मानते थे।
मैंने स्वच्छता से जुड़े कार्यों से ही जन-सेवा की अपनी जीवन-यात्रा शुरू की थी। Notified Area Council की उपाध्यक्ष के रूप में मैं प्रतिदिन एक वार्ड से दूसरे वार्ड जाती थी, साफ-सफाई के कार्यों को देखती थी और सफाई-मित्रों सहित अन्य लोगों की सलाह लेती थी। हमारे सफाई-मित्र हमारे राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान के अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं। पिछले वर्ष मैंने उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में आयोजित सफाई-मित्र सम्मेलन में भागीदारी की थी और सफाई भी की थी। मेरे लिए वह सम्मेलन सबसे महत्वपूर्ण सम्मेलनों में से एक रहा है।
सफाई मित्रों की सुरक्षा से जुड़े प्रयासों और ‘सफाई-मित्र सुरक्षित शहर’ पुरस्कारों के लिए मैं पुनः मंत्री जी और सभी सम्बद्ध लोगों की सराहना करती हूं। इस पुरस्कार के विजेताओं को मैं विशेष बधाई देती हूं।
एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के पास प्रायः संसाधनों की कमी होती है। इसके बावजूद ऐसे छोटे शहरों ने स्वच्छता के प्रतिमान स्थापित किए हैं। ऐसे छोटे शहरों की स्वच्छता से जुड़े सभी लोग विशेष बधाई के पात्र हैं।
जो शहर स्वच्छता के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन करते रहे हैं उन्हें Super Swachh League में शामिल करने की नई पहल की मैं प्रशंसा करती हूं। हमारे विद्यार्थी स्वच्छता को जीवन-मूल्य के रूप में अपनाएं, इस उद्देश्य से school level assessment की शुरुआत की गई है। इस प्रयास के बहुत लाभदायक और दूरगामी परिणाम होंगे। इस तरह के अनेक नवीन प्रयासों के लिए मैं पुनः आप सबकी सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
किसी भी वस्तु का कम से कम मात्रा में उपयोग करना, बार-बार उपयोग करना, पुरानी हो जाने पर उसी वस्तु का किसी दूसरे काम में प्रयोग करना तथा फेंकने और व्यर्थ करने से परहेज करना हमारी जीवन-शैली रही है।
Circular economy के मूल सिद्धांत तथा reduce-reuse-recycle की प्रणालियां भी हमारी प्राचीन जीवन-शैली के आधुनिक और व्यापक स्वरूप हैं। उदाहरण के लिए जनजातीय समुदायों की पारंपरिक जीवन-शैली में सादगी होती है। वे मौसम और पर्यावरण के अनुकूल तथा सबके साथ साझेदारी करते हुए, संसाधनों का न्यूनतम उपयोग करते हैं। वे प्राकृतिक उपादानों का अपव्यय नहीं करते हैं। ऐसे संस्कार, व्यवहार और परंपरा को मजबूत बनाने से Circularity की आधुनिक प्रणालियों को अपनाना आसान हो सकेगा।
Waste to wealth के संदर्भ में मैं कहा करती हूं कि Waste is Wealth. जिस चीज को सामान्यतया waste समझा जाता है, वह वास्तव में मूल्यवान होती है। उस मूल्य को जिन तरीकों से उजागर किया जा सकता है, उन पर अधिक से अधिक बल देना चाहिए। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि लाखों महिला उद्यमी और अनेक महिला-स्वयं-सहायता- समूह waste to wealth से जुड़े हैं तथा कुछ बहुत अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
देवियो और सज्जनो,
Waste management value chain में पहला और महत्वपूर्ण चरण है source segregation. इस चरण पर सभी हितधारकों तथा प्रत्येक घर-परिवार को सबसे अधिक ध्यान देना है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि waste management के क्षेत्र में देश के विभिन्न भागों में सफल start- ups आगे बढ़ रहे हैं। Zero-waste colonies अच्छे उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे घर के बड़ों को स्वच्छता का सबक सिखा रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
स्वच्छता के क्षेत्र में हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन कई कठिन चुनौतियों का सामना भी करना है। Plastic तथा electronic waste पर नियंत्रण करना तथा उनसे होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बड़ी चुनौती है। भारत में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत के आधे से कम है। समुचित प्रयासों के बल पर हम देश के plastic emissions को बहुत कम कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में single-use plastic वाली कुछ वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया। उसी वर्ष plastic packaging के लिए Extended Producer Responsibility के दिशा निर्देश भी सरकार ने जारी किए थे। Producers, brand owners तथा importers सहित सभी हितधारकों की ज़िम्मेदारी है कि इन guidelines का पूरी तरह पालन होता रहे।
स्वच्छता से जुड़े प्रयासों के आर्थिक पहलू होते हैं, सांस्कृतिक आयाम होते हैं तथा भौगोलिक पक्ष भी होते हैं। मुझे विश्वास है कि बहु-आयामी तथा समग्र दृष्टि के साथ संचालित स्वच्छ भारत मिशन में सभी देशवासी मजबूती से भागीदारी करेंगे। सुविचारित और सुदृढ़ संकल्पों के साथ सभी देशवासी वर्ष 2047 तक जिस विकसित भारत का निर्माण करेंगे वह विश्व के स्वच्छतम देशों में से एक होगा, इस विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!