भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  का शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सम्‍बोधन (HINDI)

विज्ञान भवन : 05.09.2025

Download : Speeches भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  का  शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सम्‍बोधन (HINDI)(126.41 KB)
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  का  शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सम्‍बोधन (HINDI)

मैं आज के सभी पुरस्कार विजेता शिक्षकों को हार्दिक बधाई देती हूं। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि स्कूल के स्तर पर शिक्षा में समानता और समावेश के अच्छे संकेत दिखाई दे रहे हैं। स्कूल स्तर पर पुरस्कार विजेताओं में शिक्षिकाओं की प्रभावशाली संख्या है जो शिक्षकों की संख्या से थोड़ा ही कम है। यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों के पुरस्कार विजेता शिक्षकों की संख्या, शहरी क्षेत्र के विद्यालयों के शिक्षकों की संख्या से अधिक है।

देवियो और सज्जनो,

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वेपल्लि राधाकृष्णन चाहते थे कि देशवासी उन्हें शिक्षक के रूप में याद करें। उनकी जयंती को, आज के दिन, शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ‘आचार्य देवो भव’ की हमारी प्राचीन परंपरा के अनुसार, शिक्षक को सर्वाधिक महत्व देने के उनके उदात्त विचार के लिए, मैं सभी देशवासियों की ओर से, डॉक्टर राधाकृष्णन जी की पावन स्मृति को सादर नमन करती हूं।

मैं समझती हूं कि भोजन, वस्त्र और आवास की तरह शिक्षा भी, व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। संवेदनशील शिक्षक बच्चों में गरिमा और सुरक्षा की भावना जगाने का काम करते हैं।

एक शिक्षिका के रूप में बच्चों के साथ कुछ समय मैंने बिताया है। उस समय को मैं अपने जीवन का अत्यंत सार्थक काल-खंड मानती हूं। आप सभी शिक्षकों के बीच आकर मेरे अंदर की शिक्षिका का भाव जीवंत हो जाता है। मैंने अपने मूल-निवास के निकट के क्षेत्र में, लगभग दस वर्ष पहले, एक छोटे से आवासीय विद्यालय की स्थापना की थी जिसमें अनाथ, वंचित और कम सुविधा-सम्पन्न परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। उन बच्चों के जीवन में आशा तथा आत्मविश्वास के संचार को देखकर मुझे बहुत संतोष का अनुभव होता है।

शिक्षा, व्यक्ति को सक्षम बनाती है। कमजोर से कमजोर पृष्ठभूमि के बच्चे, शिक्षा के बल पर, प्रगति के आसमान को छू सकते हैं। बच्चों की उड़ान को शक्ति देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका, स्नेही और निष्ठावान शिक्षकों की होती है। शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यही है कि उनके विद्यार्थी आजीवन उन्हें याद रखें तथा परिवार, समाज और देश के लिए सराहनीय योगदान दें।

शिक्षकों का आचरण, विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है। प्राचीन काल में, जब भारत को विश्व-गुरु माना जाता था, तब के शिक्षा-संबंधी नैतिक आदर्श, आज के संदर्भ में भी, उतने ही उपयोगी हैं। हमारी परंपरा में शिक्षा प्राप्त करके जाने वाले शिष्यों को आचार्य समझाते थे:

यानि-यानि अस्माकम् सुचरितानि, 
तानि त्वया उपास्यानि, 
नो इतराणि।

अर्थात ‘हमारे जो अच्छे काम हैं उनका अनुकरण करना, लेकिन हमारे अन्य कार्यों का अनुकरण मत करना।’

इससे यह स्पष्ट होता है कि आचार्य-गण यह स्वीकार करते थे कि उनका स्वयं का आचरण सदैव अनुकरणीय नहीं रहता। यह स्वाभाविक भी है। परंतु शिक्षकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे यथासंभव अच्छे आचरण का उदाहरण ही विद्यार्थियों के लिए प्रस्तुत करें। विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण करना, शिक्षक का मुख्य कर्तव्य है। नैतिक आचरण करने वाले संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ विद्यार्थी, उन विद्यार्थियों से बेहतर होते हैं जो केवल प्रतिस्पर्धा, किताबी-ज्ञान और स्वार्थ के लिए तत्पर रहते हैं। एक अच्छे शिक्षक में भावना और बुद्धि, दोनों पक्ष प्रबल होते हैं। भावना और बुद्धि के समन्वय का प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।

यदि शिक्षक मनोरंजक तरीके से पढ़ाते हैं तो विद्यार्थियों को विषय आसानी से समझ में आ जाता है। शिक्षा को बोझिल नहीं बनाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अनावश्यक तथ्यों को कम करने तथा स्कूल के स्तर पर शिक्षा को सहज बनाने पर विशेष बल दिया गया है।

देवियो और सज्जनो,

Smart black-boards और smart class-rooms तथा अन्य आधुनिक सुविधाओं का अपना महत्व है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण होते हैं smart- teachers. Smart teachers का मतलब है, ऐसे teachers, जो अपने विद्यार्थियों के विकास से जुड़ी जरूरतों को समझते हैं। Smart teachers, स्नेह और संवेदनशीलता के साथ, अध्ययन की प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाते हैं। ऐसे शिक्षक, समाज और राष्ट्र की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम विद्यार्थियों का निर्माण करते हैं।

देवियो और सज्जनो,

बालिकाओं की शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया जाना चाहिए। बेटियों की शिक्षा में निवेश करके, हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण में अमूल्य निवेश करते हैं।

आधुनिक भारत की निर्माता विभूतियों में सावित्रीबाई फुले जी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्नीसवीं सदी में उन्होंने बालिका विद्यालय की स्थापना की। वह एक क्रांतिकारी कदम था। आधुनिक भारत में स्त्री शिक्षा की आधारशिला रखने वाली सावित्रीबाई फुले जी की स्मृति को मैं सादर नमन करती हूं।

बेटियों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करना Women Led Development को प्रोत्साहित करने का सबसे प्रभावी माध्यम है। शिक्षक समुदाय पर इसकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में, यह संस्तुति की गई है कि बालिकाओं को अच्छी शिक्षा देना, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के शिक्षा- स्तर को सुधारने का सबसे प्रभावी माध्यम है। इस शिक्षा नीति में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का विस्तार करने और वंचित वर्गों की बालिकाओं को विशेष शिक्षा-सुविधाएं प्रदान करने पर बल दिया गया है। लेकिन, शिक्षा से जुड़ी किसी भी पहल की सफलता मुख्यतः शिक्षकों पर ही निर्भर करती है। आप बेटियों को शिक्षित बनाने में जितना अधिक योगदान देंगे उतना ही अपने शिक्षक जीवन को सार्थकता प्रदान करेंगे।

केंद्र और राज्य सरकारों, विद्यालयों के प्रबन्धकों और सभी शिक्षकों का यह दायित्व है कि बेटियों की सुविधाओं और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। मेरा अनुभव है कि सुविधा और सुरक्षा मिलने पर बेटियां असाधारण योग्यता का प्रदर्शन करती हैं। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, Gross Enrolment Ratio के मानक पर, पिछले कुछ वर्षों के दौरान, हमारी बेटियों की संख्या, अधिक रही है। यह विशेष प्रसन्नता की बात है कि STEM enrolments में बेटियों की संख्या forty-three per cent तक पहुंच गई है। इसके लिए, मैं बेटियों के अभिभावकों, शिक्षकों तथा शिक्षा से जुड़े सभी संस्थानों और विभागों की सराहना करती हूं।

बालिकाएं अपनी बात कहने में या अपनी आवश्यकताओं को व्यक्त करने में, प्रायः संकोच करती हैं। मैं शिक्षकों से अनुरोध करूंगी कि बालिकाओं सहित उन सभी विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान दें जो अपेक्षाकृत संकोची होते हैं या कम सुविधा सम्पन्न पृष्ठभूमि से आते हैं।

देवियो और सज्जनो,

भारत को Skill Capital of the World बनाना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में से एक है। हमारी परंपरा में विश्वकर्मा को भगवान का दर्जा दिया गया है। Vocational education पर विशेष बल देकर हम अपनी प्राचीन परंपरा के अनुरूप, आधुनिक विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। Skill Trainers और Master Trainers को पुरस्कार प्रदान करने की परंपरा को स्थापित करने, और उसे आगे बढ़ाने के लिए मैं केंद्र सरकार की सराहना करती हूं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य है कि भारत एक Global Knowledge Superpower बने। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हमारे शिक्षकों की पहचान विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के रूप में हो। School education, higher education और skill education, शिक्षा के इन तीनों क्षेत्रों में हमारे संस्थानों और शिक्षकों को बढ़-चढ़कर योगदान देना है। इस दिशा में हमारे शिक्षण संस्थान और शिक्षक आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन, अभी हमें बहुत आगे जाना है। मुझे विश्वास है कि हमारे शिक्षक-गण, अपने निर्णायक योगदान से भारत को Global Knowledge Superpower के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। इसी विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!

Subscribe to Newsletter

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
The subscriber's email address.