भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ललित कला अकादेमी द्वारा आयोजित 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में सम्बोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 24.09.2025


देशभर से आए कलाकारों के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आप कलाकारों के रूप में, भारत की बहुरंगी संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि यहां एक साथ बैठे हुए हैं। आज जिन कलाकारों को पुरस्कार प्राप्त हुए हैं उनको विशेष बधाई। मुझे विश्वास है कि आपके कार्य के पुरस्कृत होने से अन्य कलाकारों को प्रेरणा मिलेगी।
यह प्रसन्नता की बात है कि अकादेमी द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी, वर्ष 1955 से, दृश्य कला की सभी विधाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्यरत है। राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी सहित अन्य आयोजनों के माध्यम से विभिन्न कलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मैं संस्कृति मंत्रालय और ललित कला अकादेमी से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं।
सृजनात्मकता को बढ़ावा देने में सांस्कृतिक आदान-प्रदान का बहुत महत्व है। मुझे विश्वास है कि संस्कृति मंत्रालय और ‘ललित कला अकादेमी’ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए प्रयासरत हैं।
प्रिय कलाकारों,
भारत की परंपरा में, कला को भी एक साधना माना गया है। कलाकारों को हमारे समाज में एक विशेष सम्मान दिया जाता रहा है। आपकी कला न केवल सौंदर्यबोध का माध्यम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने और समाज को अधिक संवेदनशील बनाने का सशक्त साधन भी है। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित विविध माध्यमों — चित्रकला, मूर्तिकला, ग्राफिक कला, सिरेमिक और फोटोग्राफी — से यह स्पष्ट है कि भारतीय कला लगातार विकसित हो रही है और नये आयाम प्रस्तुत कर रही है। हमारे कलाकार अपने विचारों, अपनी दृष्टि और अपनी कल्पनाशीलता से एक नए भारत की छवि प्रस्तुत कर रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
कला को मूर्त रूप देने में कलाकारों को अपना समय, ऊर्जा और संसाधन लगाना पड़ता है। कलाकृतियों का उचित मूल्य मिलना उस कलाकार के साथ-साथ उन लोगों को भी प्रोत्साहित करेगा जो कला को एक profession के रूप में अपनाना चाहते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ललित कला अकादेमी, इस वर्ष, कलाकारों की कलाकृतियों की बिक्री को प्रोत्साहित कर रही है। यह कलाकारों को आर्थिक संबल प्रदान करेगा और हमारी Creative Economy को मजबूत बनाएगा। मैं कला-प्रेमियों से भी अपील करूंगी कि आप केवल कलाकृतियों को सराहें ही नहीं बल्कि उन्हें अपने साथ अपने घर भी ले जाएं। भारत की आर्थिक शक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भी पहचान मजबूत हो, इसके लिए हम सब को मिल कर कार्य करना है।
अंत में, एक बार फिर मैं सभी कलाकारों को बधाई देती हूं। जिन कलाकारों की कृतियां यहां प्रदर्शित नहीं हो सकीं, उन कलाकारों की भी मैं सराहना करती हूं। सभी कलाकार मेहनत से कला की सेवा करते रहें। मेरी शुभकामनाएं सबके साथ हैं।
धन्यवाद।
जय हिन्द!