भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का EEPC इंडिया के प्लेटिनम जयंती समारोह में सम्बोधन (HINDI)
विज्ञान भवन : 08.09.2025


देश की अर्थव्यवस्था को निरंतर योगदान देने के 70 वर्ष सम्पन्न करने के लिए मैं EEPC टीम को बधाई देती हूं। इस उपलब्धि के लिए मैं वर्तमान और पूर्ववर्ती सदस्यों और पदाधिकारियों की सराहना करती हूं।
मुझे बताया गया है कि EEPC की गतिविधियों में विस्तार किया गया है। विगत दस वर्षों में भारत के Engineering Exports, 70 billion dollars से बढ़कर 115 billion dollars से कहीं अधिक हो गए हैं। जब हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि पिछले दशक के दौरान अंतर-राष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां रही हैं तो निर्यात में यह वृद्धि और अधिक प्रभावशाली प्रतीत होती है। इस उपलब्धि में EEPC का भी योगदान है। इस योगदान के लिए मैं आप सबकी सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
प्राचीन काल में भारत अध्यात्म और व्यापार दोनों क्षेत्रों में विश्व का नेतृत्व करता था। भारत की इस श्रेष्ठता के अनेक documentary evidence उपलब्ध हैं।
भारत के पश्चिम में भृगु-कच्छ, जहां आज का भरूच शहर है तथा Malabar Coast पर अनेक बन्दरगाह थे। उसी तरह, भारत के पूर्व में ताम्रलिप्ति, जहां आज का तामलुक शहर है तथा Coro-Mandal Coast पर भी अनेक बन्दरगाह थे। ये सभी बन्दरगाह Roman Empire, South-East Asia तथा विश्व के अन्य क्षेत्रों से सामान लाने और ले जाने वाले जहाजों से खचाखच भरे रहते थे। एक साथ, एक ही देश के, सौ से अधिक जहाजों के बेड़े भारत के समुद्री तटों पर आया करते थे और सामान ले जाया करते थे। Ancient India में ship building के अनेक प्रमाण मिलते हैं। विशाल नौकाओं का यानी large ships का निर्माण और उपयोग किया जाता था। यदि केवल एक प्रमाण देखना हो, तो अजंता की गुफाओं के चित्रों में, आप विशालकाय नौकाओं के चित्र देख सकते हैं।
Roman Empire में सबसे समृद्ध लोग, भारत में बनी वस्तुओं का उपयोग करना अपनी शान समझते थे। विश्व के सभी क्षेत्रों से स्वर्ण मुद्राएं तथा अन्य बहुमूल्य धातुओं के सिक्के भारत पहुंचते थे। इतिहास को रोचक शैली में लिखने वाले एक समकालीन लेखक ने प्राचीन भारत को ‘India: The Sink of the World’s Most Precious Metals’ कहा है।
भारत को फिर एक बार ज्ञान और व्यापार का अग्रणी केंद्र बनाना सभी देशवासियों का संकल्प होना चाहिए। आर्थिक क्षेत्र में एक important stakeholder होने के नाते EEPC को बहुत दृढ़ता के साथ यह संकल्प लेना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
EEPC अंतर-राष्ट्रीय बाजार और भारतीय उत्पादकों के बीच में सेतु का कार्य करता है। आपको Global Value Chain में भारत की भूमिका को तथा भारत के उद्यमियों की भूमिका को निरंतर विस्तार देना है। World Trade Order और International Economic Order में हो रहे परिवर्तनों के कारण, आपकी भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
अंग्रेजी की एक कहावत है, When the going gets tough, the tough get going. COVID की महामारी से मानव समुदाय के समक्ष स्वास्थ्य का ऐसा गंभीर संकट आया था जिसकी तुलना लगभग सौ वर्ष पहले के Spanish Flu नामक वैश्विक महामारी से की गई थी। साथ ही, COVID से एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट भी उत्पन्न हुआ। उस दौरान भारत ने विशाल स्तर पर vaccine का उत्पादन करने, महामारी से जुड़े प्रशासनिक प्रबंधन करने, देशवासियों सहित अनेक अन्य देशों की सहायता करने के जो उदाहरण प्रस्तुत किए वे अभूतपूर्व थे।
COVID महामारी के दौरान ही ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ शुरू किया गया। उस अभियान के दूरगामी आर्थिक लाभ दिखाई पड़ते हैं। COVID महामारी से उत्पन्न हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करके भारत ने जिस आत्मविश्वास का परिचय दिया, वह राष्ट्रीय क्षमता को बढ़ाकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का एक प्रेरक उदाहरण है। ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का एक प्रमुख आयाम, ऐसी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जिस पर अंतर-राष्ट्रीय उथल-पुथल का कम से कम प्रभाव पड़े।
हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करते हुए, वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को, अवसर में बदलने की जरूरत है। पिछले सात दशकों के दौरान भारत के engineering exports destinations में काफी बदलाव आया है। बदलाव की यह प्रक्रिया आपको जारी रखनी है, तथा ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करते रहना है।
अनेक प्रतिष्ठित अंतर-राष्ट्रीय संस्थान, आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को facts और logic के आधार पर विश्व-समुदाय के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं। ऐसी studies और surveys, EEPC जैसे संस्थानों के लिए third-party certification का महत्व रखते हैं।
भारत और United Kingdom के बीच जुलाई के महीने में किया गया Comprehensive Economic and Trade Agreement दोनों पक्षों के बीच के लगभग 56 billion dollars के merchandise and services trade को बहुत आगे ले जाएगा। मुझे विश्वास है कि इस agreement की सफलता की दिशा में EEPC द्वारा और अधिक सक्रिय योगदान दिया जाएगा।
मुझे बताया गया है कि EEPC के लगभग दस हजार सदस्यों में 60 per cent से अधिक Micro, Small & Medium Enterprises हैं। ये Enterprises बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में MSMEs का योगदान महत्वपूर्ण भी है और सराहनीय भी। मुझे विश्वास है कि EEPC द्वारा MSMEs के निर्यात को बदलती परिस्थितियों के अनुरूप, नई दिशा प्रदान की जाएगी एवं नई शक्ति प्रदान की जाएगी।
High quality engineering services and products at low cost भारत की बहुत बड़ी शक्ति है। विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के Global Capability Centres भारत में हैं। समुचित प्रोत्साहन और eco-system उपलब्ध कराकर, भारत को Global Innovation Centre बनाने की सोच के साथ EEPC जैसे stakeholders को आगे बढ़ना चाहिए। Global economy और trade के experts, innovation economies और catch- up economies के बारे में चर्चा करते हैं। Innovation economies विश्व की सबसे अधिक competitive और prosperous economies हैं। भारत में उपलब्ध प्रतिभा और ऊर्जा, यानी talent और energy को enabling eco-system प्रदान करके, भारत को एक leading innovation economy बनाने का संकल्प आप सबको लेना चाहिए।
EEPC ने जो महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं, उनमें यदि परिवर्तन करना हो तो मैं यह सुझाव दूंगी कि आप अपने लक्ष्यों को और अधिक विशाल बनाइए। अपने प्रयासों को और अधिक विस्तृत बनाइए। अपने सदस्यों को और अधिक प्रोत्साहन दीजिए। विकसित भारत के निर्माण के संकल्प को पूरा करने की दिशा में और तेज गति के साथ अपना योगदान दीजिए। इन्हीं सुझावों के साथ, मैं EEPC के सभी सदस्यों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं, और अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!