भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन की अर्धप्रतिमा के अनावरण के अवसर पर संबोधन

तिरुवनंतपुरम : 23.10.2025

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन की अर्धप्रतिमा के अनावरण के अवसर पर  संबोधन(हिन्दी, 66.92 किलोबाइट)

ADDRESS BY THE HON’BLE PRESIDENT OF INDIA  SMT. DROUPADI MURMU  AT UNVEILING CEREMONY OF THE BUST OF LATE SHRI K R  NARAYANAN, FORMER PRESIDENT OF INDIA

मुझे आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आप सबके साथ उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। श्री नारायणन एक प्रख्यात दूरदर्शी राजनेता, राजनयिक और विद्वान थे। आज राजभवन में स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन की प्रतिमा का अनावरण करके मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं। मैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ जिनके मार्गदर्शन में यह कार्य किया गया है। मुझे विश्वास है कि श्री नारायणन की स्मृति लोगों को समानता, सत्यनिष्ठा और जनसेवा के उन मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती रहेगी जिन्हें बनाए रखने के लिए वे सदैव तत्पर रहे। स्वर्गीय श्री के.आर. नारायणन का जीवन साहस, दृढ़ता और आत्मविश्वास से भरी कहानी है। गहरे समर्पण और शिक्षा के बल पर वे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हुए। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता से साबित होता है कि एक उद्देश्य हो तो दृढ़ संकल्प और अवसर से हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।

राजनीति में शुरुआत करने से पहले श्री नारायणन का भारतीय विदेश सेवा में एक विशिष्ट करियर रहा। श्री नारायणन ने भारत के शांति, न्याय और सहयोग के मूल्यों को पूरी निष्ठा से कायम रखा। राजनयिक जीवन के बाद उनका संसद के लिए निर्वाचन हुआ और फिर केंद्रीय मंत्री भी रहे। वे निष्पक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों का अडिगता से पालने करते रहे ।

श्री नारायणन भारत के उपराष्ट्रपति भी रहे। वे भारत के राष्ट्रपति बने और अपने जीवन के परम मुकाम पर पहुँचे। वे राष्ट्रपति भवन में राजनेता के अपने अनुभव के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व के बुद्धिमत्ता और विनम्रता के पहलुओं को साथ लेकर आए।

देवियो और सज्जनो,

श्री नारायणन अपने गृह राज्य केरल से गहराई से जुड़े रहे। उन्होंने यहां की सामाजिक प्रगति और शिक्षा एवं समावेशिता से प्रेरणा ग्रहण की। सर्वोच्च पद पर पहुँचने के बाद भी उनका अपनी जड़ों से लगाव रहा। श्री नारायणन ने जीवन भर मानव और राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका पर ज़ोर दिया। उनके लिए, शिक्षा केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि सभी का अधिकार थी। श्री नारायणन का मानना ​​था कि मानवीय मूल्य किसी भी सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक हैं और समाज के विकास का आधार हैं।

अब जब हम विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी नागरिकों, विशेषकर सबसे कमज़ोर और हाशिए पर पड़े लोगों को अपने सपनों को साकार करने के समान अवसर उपलब्ध हों। श्री के.आर. नारायणन नैतिकता, सत्यनिष्ठा, करुणा और लोकतांत्रिक भावना की एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। आज जब हम उनका स्मरण कर रहे हैं, तो इस अवसर पर हमें राष्ट्र निर्माण के समर्पित उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए एक अधिक समावेशी, न्यायपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण भारत के निर्माण के लिए कार्य करना चाहिए।

धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!

समाचार पत्रिका के लिए सदस्यता लें

सदस्यता का प्रकार
वह न्यूज़लेटर चुनें जिसकी आप सदस्यता लेना चाहते हैं।
सब्सक्राइबर का ईमेल पता