भारत की राष्ट्रपति गुजरात विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

गुजरात विद्यापीठ हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों की पुण्य-स्थली है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

भारत को आत्मनिर्भर बनाना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 11.10.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 11 अक्तूबर, 2025 को अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ के 71वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने गुजरात विद्यापीठ को राष्ट्र निर्माण और आत्मनिर्भरता के जीवंत आदर्शों का एक ऐतिहासिक प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि गुजरात विद्यापीठ का परिसर हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों की पुण्य-स्थली है। उन्होंने महात्मा गांधी की पावन स्मृति के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति ने गुजरात विद्यापीठ के विद्यार्थियों से आग्रह किया कि उन्हें इस बात की चेतना रहे कि बापू विद्यार्थियों से राष्ट्रीय अभियानों  में योगदान की आशा करते थे। उन्होंने कहा कि बापू की अपेक्षाओं के अनुसार उन्हें राष्ट्रीय विकास से संबंधित सभी पहलों में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात में स्वरोजगार की संस्कृति सदैव विद्यमान रही है। उन्होंने स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने की गुजरात की संस्कृति को पूरे देश में प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि गुजरात विद्यापीठ के विद्यार्थी  आत्मनिर्भरता की इस संस्कृति के संवाहक बनेंगे। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है और उन्होंने विद्यार्थियों से स्वदेशी के राष्ट्रीय अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सामाजिक पुनर्निर्माण का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने गुजरात विद्यापीठ के शिक्षकों और विद्यार्थियों को शिक्षा के इस उद्देश्य का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों का संचार ही शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपनी शिक्षा को स्थानीय संदर्भों से जोड़कर उसका व्यावहारिक उपयोग कर सकते हैं।

इससे पहले, राष्ट्रपति ने द्वारका, गुजरात में स्थित द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन और आरती की।

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