भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 76वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 25.11.2025

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 76वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन(हिन्दी, 62.4 किलोबाइट)

मैं इस प्रतिष्ठित सेवा में चयनित होने के लिए आप सभी को बधाई देती हूँ। अपने दृढ़ संकल्प, प्रण और लगन के आधार पर आप सब इस पद पर पहुँचे हैं। इस सेवा के द्वारा आपको अपने महान राष्ट्र की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि यह बैच देश की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे बताया गया है कि आप सब विभिन्न राज्यों और विविध शैक्षणिक एवं व्यावसायिक पृष्ठभूमि से हैं। मुझे विश्वास है कि इसी विविधता से नए विचारों और दृष्टिकोणों के साथ आप सब सेवा करेंगे।

प्रिय अधिकारियो,

राष्ट्र निर्माण के लिए राजस्व संग्रह बहुत महत्व रखता है। इस संग्रहित राजस्व से बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण कार्यों के लिए धनराशि दी जाती है। इसलिए, राजस्व सेवा के अधिकारी भारत निर्माण की प्रक्रिया के सक्रिय भागीदार हैं। लेकिन, कर संग्रह प्रक्रिया सुगम होनी चाहिए और करदाताओं को असुविधा नहीं होनी चाहिए। चाणक्य ने अपनी रचना अर्थशास्त्र में कर संग्रह के बारे में कहा है - सरकार को मधुमक्खी की तरह कर वसूलना चाहिए, जो फूल से उतनी ही मात्रा में शहद इकट्ठा करती है जिससे दोनों जीवित रह सकें। इसे आप सदा स्मरण रखें।

इस वर्ष सितंबर में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर सुधार भारत की कराधान प्रणाली को नया रूप देने वाला एक ऐतिहासिक कदम हैं। ये सुधार उद्यमशीलता, रोज़गार सृजन और वहनीय जीवन जीने के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए लागू किए गए हैं। इन सुधारों से भारत के समावेशी विकास, स्थिरता और अगली पीढ़ी के सशक्तिकरण के दूरदर्शी दृष्टिकोण को मज़बूती प्रदान हुई हैं।

भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) की एक साझा कर-ढाँचे और साझा प्रशासनिक व्यवहार के माध्यम से भारत की नए युग की अर्थव्यवस्था को जोड़कर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है। आपको यह सुनिश्चित करना है कि कराधान विश्वास और निष्पक्षता का माध्यम बने, बाधा नहीं बने।

राजस्व सेवा अधिकारी के रूप में आप सबको प्रशासक, जांचकर्ता, व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले और कानून को लागू करने वाले के रूप में अनेक प्रकार के कार्य करने होते हैं। आप सब भारत की आर्थिक सीमाओं के रक्षक हैं और आप सब को देश में तस्करी, वित्तीय धोखाधड़ी और अवैध व्यापार को रोकना है, साथ ही वैध वाणिज्य कार्यों और वैश्विक व्यापार साझेदारी को सुगम बनाना है। आपका कार्य प्रवर्तन और सुविधा; कानून का अनुपालन करने और आर्थिक विकास को सक्षम बनाने के बीच एक सावधानीपूर्वक संतुलन बनाने का है ।

आपको ऐसी प्रणालियाँ विकसित करनी होंगी जो पारदर्शी, जवाबदेह और तकनीक- संचालित हों। आपको अपने कार्य में ईमानदारी और निष्पक्षता बनाए रखनी है। युवा अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे नवोन्मेषी, विश्लेषण करने में समृद्द और तकनीकी रूप से कुशल हों। मैं आशा करती हूं कि आप कर प्रशासन को अधिक कुशल और नागरिक-हितैषी बनाने के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेंगे तथा ऑटोमेशन और डिजिटल शासन को अपनाएंगे। आपको अपने ज्ञान को निरंतर समृद्ध करते हुए वैश्विक व्यापार, प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र में तेज़ी से हो रहे बदलावों के अनुकूल स्वयं को ढालना होगा।

प्रिय अधिकारियो,

आप 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की हमारी विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उद्यमशीलता, अनुपालन और निवेश को प्रोत्साहित करने वाला एक स्थिर, निष्पक्ष और सुविधापूर्ण कर-इकोसिस्टम तैयार करके "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।

मुझे विश्वास है कि आप शालीनता से अपनी सेवा प्रदान करेंगे और उच्चतम नैतिक मानक अपनाएंगे। आपका आचरण सेवा भाव का हो और आप एक अधिक समृद्ध, समतामूलक और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।

गर्व, करुणा और ईमानदारी से आप देश की सेवा करें।

धन्यवाद!
जय हिंद!

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