भारत की राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान किए

ऊर्जा दक्षता लाने के लिए व्यवहार में बदलाव सबसे महत्वपूर्ण है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 14.12.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 14 दिसंबर, 2025 को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2025 और ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार प्रदान किए।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऊर्जा की बचत, ऊर्जा का सबसे पर्यावरण-अनुकूल और विश्वसनीय स्रोत है। ऊर्जा-संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है।  उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा की बचत का अर्थ केवल कम उपयोग करना नहीं, बल्कि समझदारी से, जिम्मेदारी से और दक्षता के साथ ऊर्जा का लाभ उठाना है। उन्होंने कहा कि जब हम बिजली के उपकरणों का अनावश्यक उपयोग  नहीं करते हैं, कम ऊर्जा की खपत करने वाले उपकरण अपनाते हैं, घरों और कार्यस्थलों में प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन का उपयोग करते हैं, या सौर और नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्पों को अपनाते हैं तब हम न केवल ऊर्जा बचाते हैं बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी कम करते हैं। स्वच्छ हवा और सुरक्षित जल स्रोतों को बनाए रखने और संतुलित इकोसिस्टम के लिए भी ऊर्जा की बचत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की हर यूनिट जो हम बचाएंगे, वह प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता का प्रतीक होगी।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि अगर देश के बच्चे और युवा ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक हो जाएँ और इसके लिए प्रयत्न करें तो इस क्षेत्र में लक्ष्यों की प्राप्ति तथा देश का स्थायी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच समुदायों को सशक्त बनाती है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलती है और आगे बढ़ने के लिए नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं।  इसलिए, ग्रीन एनर्जी केवल विद्युत उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सशक्तिकरण और समावेशी विकास का प्रभावी माध्यम है।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी पहल से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। सरकार नवीकरणीय उपभोग दायित्व और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि 2023-24 में भारत के ऊर्जा दक्षता की दिशा में किए गए प्रयासों से 53.60 मिलियन टन तेल के बराबर ऊर्जा की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से प्रतिवर्ष महत्वपूर्ण आर्थिक बचत हो रही है और कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में भी बहुत कमी आई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ऊर्जा परिवर्तन की सफलता के लिए प्रत्येक क्षेत्र और नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। सभी क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता लाने के लिए व्यवहार में बदलाव सबसे महत्वपूर्ण है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए संतुलित जीवनशैली अपनाने की चेतना भारत की सांस्कृतिक परंपरा का मूल है – यही भाव हमारे विश्व को दिए गए संदेश, "पर्यावरण के लिए जीवनशैली – लाइफ" का आधार है। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी लोगों की सराहना की और कहा कि उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक दायित्व, साझेदारी और जनभागीदारी की इसी भावना के साथ, भारत ऊर्जा संरक्षण की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा तथा एक हरित और उज्ज्वल भविष्य की दिशा में अपने लक्ष्यों को अवश्य प्राप्त करेगा।

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