भारत की राष्ट्रपति एनआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
मॉडल डिजिटल विलेज बनाने में एनआईटी जैसे उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से याद रखने को कहा कि सच्ची प्रगति का मापदंड केवल आविष्कार नहीं है बल्कि उस आविष्कार का समाज पर सकारात्मक प्रभाव होना चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 19.11.2025
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 19 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में एनआईटी दिल्ली के पांचवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि एनआईटी दिल्ली ने कम समय में ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह संस्थान आधुनिक बुनियादी ढाँचे और शैक्षणिक उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि बहु-विषयक शिक्षा, नवाचार, शोध, उद्यमों के साथ सहयोग और कौशल-आधारित शिक्षण को बढ़ावा देकर यह संस्थान भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों को सक्षम बना रहा है।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एनआईटी दिल्ली ने उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्टार्ट-अप केंद्र बनाया है, जहाँ विद्यार्थियों और शिक्षकों को उनके स्टार्ट-अप के लिए आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान किया जाते हैं। यहां एक इनक्यूबेशन सेंटर भी बनाया जा रहा है, जहां नए विचारों को व्यवहार्य व्यवसाय में परिवर्तित करने के लिए जरूरी सुविधाएँ और विशेषज्ञों का मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने आशा जताई कि ऐसे प्रयास विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएंगे और स्व-रोजगार की संस्कृति को बढ़ावा देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश आत्मविश्वास तथा नई ऊर्जा के साथ विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। यह संकल्प केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि समावेशी विकास, तकनीकी उन्नति, आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण और सतत् विकास से भी जुड़ा हुआ है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, सुगम्य भारत अभियान और उन्नत भारत अभियान जैसे अभियान इस बात के प्रमाण हैं कि जन-भागीदारी के साथ भारत तेज़ी से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है। इन सभी राष्ट्रीय प्रयासों का उद्देश्य एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जहाँ हर नागरिक को समान अवसर और गरिमा मिले, और जहाँ हर व्यक्ति की प्रतिभा के उभरने के लिए उचित वातावरण उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि मॉडल डिजिटल विलेज बनाने में एनआईटी जैसे उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे शिक्षण संस्थान आसान तकनीकी समाधान विकसित कर सकते हैं, लोगों को डिजिटल कौशल सिखा सकते हैं और उद्योगों के साथ मिलकर गाँवों में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अब भारत के वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्यबल के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उन्होंने उन्हें सीखने की प्रवृत्ति को बनाए रखने, शोध करने और नवाचार के रास्ते खोजने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें नई टेक्नोलॉजी बनाने का साहस दिखाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से याद रखने को कहा कि सच्ची प्रगति का मापदंड केवल आविष्कार नहीं है — बल्कि उस आविष्कार का समाज पर सकारात्मक प्रभाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे वे सतत ऊर्जा प्रणालियाँ विकसित करें, सुलभ तकनीक बनाएँ, या ग्रामीण एवं वंचित वर्गों के लिए समाधान खोजें — आपकी सोच और कार्यों से असमानताएं कम होनी चाहिए, लोगों के जीवन में नई आशा का संचार होना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि वे अपने कार्यों से इस संस्थान को और हमारे देश को गौरवान्वित करेंगे।
