भारत की राष्ट्रपति अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 20.11.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 20 नवंबर, 2025 को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अंबिकापुर, सरगुजा, छत्तीसगढ़ में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदाय का योगदान भारत के इतिहास का गौरवशाली अध्याय है। भारत लोकतन्त्र की जननी है। इसके उदाहरण, प्राचीन गणराज्यों के साथ-साथ बस्तर की ‘मुरिया दरबार’ नामक आदिम जन-संसद जैसी अनेक जनजातीय परम्पराओं में देखे जा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़, ओड़िशा और झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय विरासत की जड़ें बहुत गहरी हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस वर्ष, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा एक नवंबर से पंद्रह नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़ा, व्यापक स्तर पर मनाया गया।

राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि पिछले दशक में जनजातीय समुदाय के विकास और कल्याण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं विकसित की गई हैं और उन्हें कार्यरूप दिया गया है। पिछले वर्ष, गांधी जयंती के दिन ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ का शुभारंभ किया गया था। उस अभियान का लाभ देश के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय भाई-बहनों तक पहुंचेगा। वर्ष 2023 में, 75 पीवीटीजी समुदायों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन अभियान) शुरू किया गया था। ऐसे सभी कार्य, सरकार द्वारा आदिवासी समाज को दी जा रही प्राथमिकता के प्रमाण हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के विकास को नई ऊर्जा प्रदान करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा के 150वें जयंती वर्ष के दौरान ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ चलाया गया। उन्होंने बताया कि इस अभियान के माध्यम से देश में लगभग 20 लाख वॉलंटियर्स का समूह तैयार किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि ये वॉलंटियर्स  जनजातीय समुदाय के विकास को स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित करेंगे।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में वामपंथी उग्रवाद का रास्ता छोड़कर लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सुविचारित और सुसंगठित प्रयासों से निकट भविष्य में ही वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन संभव हो जाएगा। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हाल ही में आयोजित 'बस्तर ओलंपिक्स' में एक लाख पैंसठ हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने विश्वास जताया कि जनजातीय महानायकों के आदर्शों पर चलते हुए, छत्तीसगढ़ के निवासी सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।

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